बहारे महेफिल की जामभरी शायरी | Part-01 | shayari ka khajana
सर उठाकर जीते थे हम,
अब सर झुका कर चलना पडता है,
कभी जीते थे हम सनम के नाम पर,
आज इनके नाम पे मरना पडता हैं..
हुश्न वालो से कोई गिला नहीं,
इनकी फितरत तो बेवफाई हैं,
कोई वफा करे या नकरे यारो,
इनकी आदत तो बेवफाई की हैं ||
दिल तन्हाई में जलते रहे तन्हा-तन्हा,
दो दीवाने हर रात मिलते रहे तन्हा-तन्हा,
चाँद सितारों के सिवा किसी को खबर नहीं,
कहानी प्यार की जो लिखते रहे तन्हा-तन्हा ||
मेरे सनमने ही मुजको बरबाद किया,
दिल शाद था मेरा मगर नाशाद किया है,
दुनिया कहेती हैं की में उसे भूल जाऊ,
जिसने दिल मेरा यादो से आबाद किया हैं ||
मेरे सनमने ही मुजको बरबाद किया,
दिल शाद था मेरा मगर नाशाद किया है,
दुनिया कहेती हैं की में उसे भूल जाऊ,
जिसने दिल मेरा यादो से आबाद किया हैं ||
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